साहित्य चक्र

21 January 2019

* बुढ़ापा *



बुढ़ापा शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में हमारे दादा जी और दादी याद आते हैं..। या फिर कोई बुढ़ा व्यक्ति सामने आता हैं। बुढ़ापा जीवन का एक अटटू सत्य ही नहीं बल्कि बुढ़ापा जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय है..। इसे अभिशाप ही नहीं अनुभवों का खजाना भी माना जाता हैं...। बुढ़ापा हमारे जीवन का सबसे बड़ा सच हैं...। हम इस उम्र में सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर पाते हैं..। क्योंकि हमारी बातें बहुत कम लोग सुनते-समझ हैं..। 
वैसे बुढ़ापा मनुष्य जीवन का एक ऐसा सच हैं...। जिससे हर मनुष्य को सामना करना पड़ता हैं..। इस कड़वी सच्चाई को कोई भी व्यक्ति झूठला नहीं सकता हैं...। चाहे वह नर हो या फिर नारी..। बुढ़ापा हमारे जीवन का आखिरी सफर स्टेशन हैं..। इस स्टेशन के बाद मनुष्य परलोक सिद्ध हो जाता हैं..। 


                         संपादकः- दीपक कोहली





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