साहित्य चक्र

27 September 2018

दहेज की बदलती तस्वीर


प्रिया एक समझदार लड़की है,जो बचपन से एक ऐसे माहौल में पली बढ़ी है जहां पर उसने हमेशा अपने बड़े बुजुर्गों और माँ बाप का आदर सम्मान किया है और अपने माँ बाप की सारी बाते मानते हुए अपनी पढ़ाई की है।अपने पिता के सख्त स्वभाव के बाद भी उसने अपनी पढ़ाई निश्चित समय पर और सही तरीके से पूरी की है क्योंकि उसके पिता सख्त जरूर है किन्तु उन्होंने कभी भी प्रिया को पढ़ाई करने से नही रोका।पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रिया को एक बहुत अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में एक मैनेजर के रूप काम करने लगी है।आधुनिक विचारों की होने के बावजूद भी प्रिया हमेशा अपने मां-बाप का सम्मान करती है और कहीं ना कहीं उसने यह बात मन में ठानी हुई है कि वह अपने माता-पिता की पसंद से ही शादी करेगी।

 धीरे धीरे अब वो समय आ गया जिसमें प्रिया के विवाह के बारे में उसके मां बाप सोचने लगे और अपने सामर्थ्य के अनुसार उसके पिता ने एक बहुत ही अच्छी जगह पर अपनी बेटी प्रिया का रिश्ता तय किया और अपने पूरे सामर्थ्य से उसके विवाह किया और उसे अपने जीवन की जमापूंजी दहेज में देकर ससुराल के लिए विदा किया।एकलौती बिटिया प्रिया के विवाह में उन्होंने कोई कमी नही की।  

 धीरे-धीरे समय गुजरने लगा।प्रिया अपने पति वरुण के साथ बहुत खुश थी। उसके साँस ससुर का व्यवहार भी प्रिया के साथ हमेशा अपने मां-बाप की तरह ही था।अपनी खुशियो से भरे जीवन मे प्रिया का एक वर्ष बडी ही खुशियो के साथ गुजर रहा था।अब वो समय भी आ गया था कि प्रिया और वरुण के जीवन एक बच्चे के रूप में उनके बेटे ने जन्म लिया।सब कुछ बड़ा ही खुशियों से भरा चल रहा था,समय पंख लगा कर खुशियों के साथ उड़ता जा रहा था,किसी कारणवश प्रिया बच्चा होने के बाद अपने जॉब को करते हुए अपने बेटे का पालन पोषण ढंग से नही कर पा रही थी और खुद भी काफी थका और बीमार सा महसूस करने लगी थी।यहाँ से उसकी जीवन एक नया बदलाव आया जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

प्रिया को अचानक ही अपने पति और सास ससुर के व्यवहार में कुछ परिवर्तन सा महसूस होने लगा।उसने देखा कि किसी ना किसी तरीके से उसका पति और उसके सास ससुर उसे दुबारा से जॉब पर जाने के लिए कहते थे।उसके बीमार हालत को भी नही समझा जाता था।धीरे धीरे प्रिया को समझ आने लगा कि पढ़ी लिखी और जॉब करने वाली लड़की से ही शादी की चाहत रखने वालों का अब ये दहेज लेने का दूसरा तरीका बन गया है।शायद यही दहेज के आधुनिक रूप है कि अब लड़की बिना अपना ख्याल रखे बाहर भी कमाए और घर के भी सारे काम करे।


                                                                    *नीरज त्यागी*


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