पक्षियों का चहचहाना..।
मस्त बयार का चलना,
मन में उमंग,जीवन तरंग
मेरी फिर एक नई सुबह...।
कुछ नया करता...।
कुछ पुराना समेटना,
कुछ उलझाना, कुछ सुलझाना,
कर्तव्य पथ पर चलते जाना..।
मेरी फिर एक नई सुबह....।।
कुछ अपनी कहना,
कुछ सबकी सुनना,
कभी मंद-मंद मुस्काना...।
साथ सभी के चलते जाना,
मेरी फिर एक नई सुबह....।।
कवि: दीपक कोहली
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