साहित्य चक्र

01 January 2018

* आइए..हुजूर...आइए..। 'एड़ाधो धाम'



आइए...हुजूर...आइए...! आपका स्वागत है..। हमारे इस सुंदर धाम...! एड़ाद्यो में..। आपको चप्पे-चप्पे पर सुंदरता का आभास होगा..। साहेब..। हर सुंदरता से रूबरू कराऊगां..। अपने एड़ाद्यो धाम का..। बस एक बार मौका तो दीजिए..। बोलते नज़र आइगें यहां के पत्थर और यहां की मिट्टी...। आपको हंसाते नज़र आइगें यहां के पेड़-पौधे..। बस एक बार आकर तो देखिए..। हमारे...। एड़ाद्यो धाम...। 

दक्षिण कैलाश्वर एड़ाधो महादेव के दरबार में..। हर दुख दूर हो जाएगा..। बस आनंद ही आनंद नज़र आएगा..। स्वर्ग का आभास होगा...। प्रकृति की सुंदरता मिलेगी...। शुद्ध हवा-शुद्ध पानी का स्वाद मिलेगा..। हमारे एड़ाद्यो धाम में..। बस हुजूर एक मौका तो दीजिए...। आप हमारे देवभूमि उत्तराखंड को..।  आपके हर सपने पूरे हो जाएगें..। आपको हर खुशी मिलेगी...। हमारे एड़ाद्यो धाम में..। बस एक बार जरूर आइए..। 



वैसे आपको बता दूं..। हमारा उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य का धनी होने के साथ-साथ वन संपदा के लिए भी विश्व विख्यात है..। देवभूमि में जहां पग-पग पर आस्था का संगम है..। तो वहीं देवों की तपोभूमि होने नाते यहां का अंदाज निराला है..।  

आज मैं जिस धाम की बात कर रहा हूं..। वह धाम अल्मोड़ा के सोमेश्वर घाटी के पास में है..। समुद्र तट से लगभग 7500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह धाम अपने आप में बहुत ही सुंदर और मनमोहक हैं..। घने जंगलों के स्थित यह धाम 'दक्षिणी कैलाश आश्रम वृंदेश्वर महादेव' और 'एड़ाधो' नाम से प्रसिद्ध हैं..। इस मंदिर को महंत 'नाना बाबा' जी के लिए भी जाना जाता हैं..। कहा जाता है कि इन्होंने एड़ाधो के सुंदर वनों में तपस्या कर इस धाम को यहां बसाया..। 

यहां मां भगवती, शिव-पार्वती, से लेकर लगभग 20 देवी-देवताओं के मंदिर  स्थापित हैं..। जिनमें से एक मंदिर यहां के कुलदेवता 'ऐड़ी देवता' का भी है..। जो यहां की विशेषता को और मनमोहक बनाती हैं..। वैसे यहां हर साल रक्षाबंधन के समय एक मेला की आयोजन भी होता हैं..। इस मेले की सुंदरता यहां की भीड़ देखकर भी बनती है..। इस मेले में हजारों की संख्या में लोग कई जगहों से यहां पहुंचते हैं..। आप भी आइए और यहां की सुंदरता का लुफ्त उठाइएं..। वैसे आपको बता दूं..। यहां पहुंचने के लिए एक जीर्ण-शीर्ण बहुत ही पुरानी कच्ची सड़क बनी हुई है..। लेकिन अधिकाश: लोग इस धाम पैदल यात्रा कर पैदल मार्ग से ही पहुंचते हैं..। इस धाम के लिए कोई नियमित वाहन सुविधा नहीं है..। अपितु निजी वाहनों से ही भक्त गण यहां पहुंचते हैं..। कच्ची सड़क के मध्यम से आप यहां सोमेश्वर या फिर कोसी से आगे पथरिया के रास्ते जा सकते हैं..। समय-समय पर यहां भंडारे का भी आयोजन होता रहता है..। भक्तों-गणों के लिए यहां रात्रि विश्राम का भी प्रबंधन होता हैं..। 

यहां आपको बुरांश, देवदार, व बाज के घने वन देखने को मिलेगें..। अगर आप यहां गर्मियों के समय पहुंचते है..। तो आपको यहां स्वर्ग का जरूर आभास होगा..। वैसे आपको यहां कई प्रकार की जड़ी-बूटी भी मिल सकती है..। अगर आप विशेषज्ञ है..।  यहां की प्रसिद्ध विशेषता..। यहां भक्तगणों को धूनी की भभूति से टीका लगाया जाता हैं..। विशाल घंटा यहां सुबह-शाम बजता हैं..। यहां के आस-पास बसे गांव है..। एड़ाधो, बामनीगाड़, पड़ोलिया, मनान, गैलेख, लोद, सोमेश्वर, आदि हैं..। 

जहां आस्था का संगम हो...। जहां धार्मिक भावनाएं सिमटी हो...। जहां स्वर्ग का आभास हो..। वह सिर्फ देवभूमि उत्तराखंड है..। 
आप भी आइये यहां के सौंदर्य में चार-चांद लगाइए...।

                                          
                                                             रिपोर्ट- दीपक कोहली   

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