साहित्य चक्र

16 November 2017

मणिपुर की लौह -स्त्री

              



मणिपुर यानी भारत की वो धरती जहां अलगावी और बेगानेपन काफी मजबूत हैं। जी हॉं...!  मैं उसी भूमि की बात कर रहा हूं...। जहां उस स्त्री का जन्म हुआ...। जिसने अपने जीवन के 16 साल से भी ज्यादा समय अनशन में लगा दिया..। वो एक स्त्री नहीं..! वो मणिपुर की लौह - स्त्री है..। जी..हाँ...। हम बात कर रहे हैं..। 'इरोम चानू शर्मिला' की...। जो अपनी भूख हड़ताल के लिए पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पहचानी जाती हैं..। आपको बता दूं...। इरोम लगभग 16 साल तक अनशन पर रहीं..। इरोम ने भूख हड़ताल तब की जब 2 नवंबर 2000 को 'इम्फाल' के 'मालोम' में 'असम राइफल्स' के कुछ जवानों ने 10 बेगुनाह लोगों को बेवजह मार गिराया था..। जिसके बाद 4 नवंबर से 'इरोम'  ने अनशन कर 'सशस्त्र बल विशेष शक्तियां  अधिनियम 1956 को हटाने' के खिलाफ खड़े होने का फैसला किया...। इस उम्मीद के साथ 'इरोम' ने अपना अनशन आगे बढ़ाने का फैसला लिया...। कि पूर्वीतर राज्यों से 'ऑर्म्ड फोर्स स्पेशल एक्ट' हटा दिया जाएगा...। जिसके लिए 'इरोम' 'महात्मा गांधी' के नक्शेकदमों पर चली..। लेकिन उन्हें असफलता ही प्राप्त हुई..। तभी 16 साल बाद 'शर्मिला' ने अचानक अपना अनशन तोड़ने का फैसला किया..। जी हाँ...। 'इरोम शर्मिला' ने  जुलाई 2016 में अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की..। 

वैसे आपको बता दूं कि 'इरोम' का यह अनशन पूर्वोतर राज्योंं से एक कानून को हटाने के लिए हुआ था..। इस कानून के तहत सेना को किसी को भी देखते ही गोली मारने या बिना वांरट गिरफ्तार करने का अधिकार हैं..। जो पूर्वोतर सहित जम्मू-कश्मीर में लागू हैं..। 'शर्मिला' इस कानून के खिलाफ लगभग 16 साल लड़ी...। लेकिन सरकार ने इस कानून को वापस लेने से साफ माना कर दिया..। अनशन के कुछ समय बाद सरकार ने 'शर्मिला' को आत्महत्या करने के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया...। जिसके बाद 'इरोम शर्मिला' सरकार के कब्जे में 16 साल रहीं...। सरकार इरोम को हर साल रिहा करती और हर साल गिरफ्तार करती रहीं..। क्योंकि आत्महत्या के प्रयास में एक साल से ज्यादा गिरफ्तार नहीं होती..। जिसके लिए सरकार को यह कदम उठाने पड़े..। 

'शर्मिला' ने इस अनशन में खाना-पीना सब त्याग दिया..। जिसके बाद सरकार ने शर्मिला को जिंदा रखने के लिए अस्पताल में भर्ति करवाया..। अस्पताल में ही 'शर्मिला' के लिए अस्थायी जेल का निर्माण किया गया..। जहां शर्मिला की देख-रेख होने लगी..।   

साल 2014 में 'शर्मिला' को 'आम आदमी पार्टी' ने मणिपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया..। जिसे 'शर्मिला' ने ठुकरा दिया..। अभी हाल ही में 'शर्मिला' ने शादी कर एक नई पार्टी का गठन किया..। जिसके माध्यम से इरोम अपने सपनें को पूरा करने में लगी हैं...। 'इरोम' का राजनीति में आने का मकशद मणिपुर में अपनी पार्टी के साथ सरकार बनाना हैं...। 'इरोम' का सपना राज्य की मुख्यमंत्री बनना है...। यह तो वक्त ही बता सकता है...। 'इरोम' राज्य की सीएम बनती है या फिर पूरे जीवन संघर्ष  ही करती रहती है...।  हम उम्मीद करते है 'इरोम' अपने सपनों को हकीकत में बदले और मणिपुर की दशा सुधारे...। आशा करते है...! मणिपुर की जनता 'इरोम' को एक मौका जरूर देगी...। प्रदेश में सरकार बनाने की...?  

    

                                                       संपादक- दीपक कोहली



15 November 2017

मैं भगवा समाजसेवी- 'पूर्णिमा'

             'मेरा कर्म ही मेरी पहचान है, मेरा धर्म ही मेरी पहचान है'।



हमारे देश में अलग-अगल प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग रहते हैं..। कोई अपना कर्म ही अपनी पहचान बना लेता हैं..। तो कोई पहचान को ही अपना कर्म बना लेता हैं..। चाहे वो उत्तराखंड में रहता हो या फिर महाराष्ट्र में क्यों ना रहता हो..। हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं...। जो अपना धर्म सिर्फ समाजसेवा मानते हैं..। यानि समाज के लिए जीना और मरना..। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लेके आए हैं...। एक ऐसी महिला की पहचान जो अपना धर्म सिर्फ समाज सेवा समझती है...। 

जी हाँ..। हम बात कर रहे 'पूर्णिमा वर्मा' की...। जो एक भगवा समाजसेवी हैं..। अपने कामों के लिए 'पूर्णिमा' पूरे लखनऊ में जानी जाती है..। 'पूर्णिमा' एक समाजसेवी के साथ-साथ एक कुशल गृहणी और माँँ भी हैं..। जो कहती है...। समाजसेवा ही मेरी असली पहचान हैं...। जब हमने पूर्णिमा वर्मा से बात की....।  तो 'पूर्णिमा' ने बताया कि वो पिछले कई सालों से अपने क्षेत्र में गरीब-निर्धन लोगों की सहायता कर रही हैं..। उन गरीबों के लिए लोगों से पुराने कपड़े, जूतें आदि चीजें जमा करती हैं..। जिन पुरानी चीजों को लोग उपयोग नहीं करते, उन पुरानी चीजों को जमा कर 'पूर्णिमा' गरीब-निर्धन लोगों तक पहुंचती हैं..। इसी कड़ी में हमने 'पूर्णिमा' से कुछ सवालों के जवाब जनाने की कोशश की...। 

आइये जानते है 'पूर्णिमा वर्मा' के साथ हुई बातचीत के कुछ विशेष अंश..। 

सवाल- आप समाजसेवा क्यों करना चाहते हो..? 
जवाब- अपने लिए तो हर कोई जीते हैं..। लेकिन मुझे समाज के लिए जीना बेहद पंसद हैं..। खासकर अपने धर्म के लिए...। मैं अपने धर्म के लोगों की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं भगवा वेश में समाज की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं एक भगवा समाजसेवी हूँ..।

सवाल- भगवा समाजसेवी...? कहीं आप योगी-मोदी जी को खुश करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं..? जिससे आपको एक नाम मिल जाए और एक फ्रेम मिल जाए...?  जो आपको राजनीति में आने के लिए चाहिए..?

जवाब- नहीं..! नहीं...! नहीं..! भगवा रंग तो संत समाज को प्रदर्शित करता हैं..। मैं सनातन धर्म को बहुत प्रेम करती हूँ..। इसलिए मैंने भगवाधारी वस्त्र धारण किए हैं..। तो मैं भगवा समाजसेवी हुई...। वैसे मैं सनातन धर्म के लिए काम करना चाहती थी.. और आज कर रही हूँ..। गौ रक्षा, गंगा सफाई, महिला जागरूकता, फैलाना ही हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य हैं..। जिस तरह आज महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। वो एक चिंता का विषय हैं...। 

सवाल- आज कल संत-बाबा के खुलासे  हो रहे हैं..? इस पर आपके क्या विचार है...?
जवाब-  आप देख सकते है...। जिन बाबाओं का खुलासा हो रहा है। वो कहीं ना कहीं किसी राजनीति पार्टी या फिर मल्टीप्लेस टाइप के हैं..। आज भी वो साधु-संत हैं..। जो हमारे सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं..। उज्जैन, वाराणसी, इलाहाबाद, हरिद्वार में आज भी हमारे सनातन धर्म के साधु-संत मौजूद है...। मैं उन सभी बाबाओं का विरोध करती हूँ जो नारी का सम्मान नहीं करते हैं..।

सवाल- आप योगी जी को किसी श्रेणी में रखते है..?
जवाब-  मुझे लगता है...!  योगी जी सबसे पहले एक संत है...। उसके बाद वो एक राजनेता हैं...। शायद यही हकीकत भी है..। 

सवाल- आपको नहीं लगता...! जब से प्रदेश में योगी सरकार आई हैं। तब से प्रदेश में हिंदुत्व व भगवाधारियों का एक नया मंच तैयार हो रहा हैं...?  
जवाब- हां..। ये तो है..। जो हमारे हिंदू धर्म के लिए एक अच्छा संकेत कहा जा सकता हैं...। इससे पहले भी कई पार्टियों ने अलग-अलग धर्म के लिए काम किया हैं...। हां..! मैं इतना जरूर कहूंगी...। देशहित सबसे पहले आना चाहिए..। ना कि हिंदुत्व...। हम सबसे पहले एक भारतीय है..। 

सवाल- अभी आपको क्या लगता है..? उत्तर प्रदेश की हालत क्या है...? प्रदेश की दिशा की ओर जा रहा है...? 
जवाब- चाहे प्रदेश में किसी की भी सरकार आ जाए बीजेपी, कांग्रेस, सपा...। जब तब राजनेता राजनीति से हटकर काम नहीं करेगें..। तब तक प्रदेश का विकास होना असंभव है...। हमें पार्टी हित से हटकर राष्ट्रहित में सोचना होगा..। तभी हमारे राष्ट्र और प्रदेश एक अच्छी दिशा की ओर अग्रसर होगा..। अभी हमारा प्रदेश एक अच्छी दिशा में की ओर अग्रसर है...। हमें उम्मीद हैं...कि योगी जी प्रदेश की दशा जरूर बदलेगें...।  

सवाल- आपको क्या लगता है देश में परिवर्तन हो रहा हैं...?
जवाब- जी हाँ...। मेरे अनुसार तो बहुत परिवर्तन हुआ है..। बस सरकार को गांव-देहात क्षेत्रों में विकास करने की जरूरत हैं..। एक सही कदम उठाकर वहां की जनता को सही सुविधा और सही दिशा देने की जरूरत है...। साथ ही किसानों के हित में ठोस और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। 

सवाल- आप अपने आप को समाजसेवी कहते है..? आप किस तरह की समाजसेवा करते है..? क्या आप थोड़ा हमें समझाएगें..?   
जवाब- मैं अपने क्षेत्र (गांव) में गरीब-असहाय लोगों के लिए पुराने कपड़े, चप्पल, जूते जमा कर लखनऊ से गांव ले जाती हूं...। फिर वहां उन गरीब लोगों, बच्चों के बांटती हूं..। जिनके पास पहने के लिए कपड़े, जूते नहीं  हैं। मैं खुद एक रोज कमाने-रोज खाने वाली परिवार से हूँ...। जितना मेरे से होता है मैं उतनी उनकी सेवा करती हूँ..। आज भी उत्तरप्रदेश के गांवों का हाल बेहाल हैं..। अगर आपको विश्वास नहीं तो आप मेरे साथ आकर देख सकते हैं...। मैं आपको उन गांवों की हालात दिखा सकती हूँ...। हमारे देश में लोग मंदिरों में हजारों का भंडारा करते हैं...लेकिन गरीब-असहाय लोगों की कोई सहायता नहीं करता..। जो बेहद दुर्भाग्य हैं..। 

सवाल- अगर हमें प्रदेश के किसानों की बात करें तो आपको उनका हालात कैसे नजर आती हैं.. ?
जवाब- राज्य के किसानों की बात करें तो हाल बड़ा ही बेहाल है..। भले ही चाहे प्रदेश सरकार ने ऋण माफ कर किसानों को खुश करने की कोशिश की...। लेकिन आज भी किसानों के पास खाद खरीदने तक के लिए पैसे नहीं है..। जो यह दर्शाता हैं हमारा किसान हमारे लिए अपनी जान तक दे देता हैं..। फिर भी हमारे किसानों को कुछ नहीं मिल पाता हैं...। 

सवाल- आप 'भगवा रक्षा वाहिनी' के साथ जुड़े हैं..? आप इसकी प्रदेश प्रवक्ता भी है...? ऐसे में आपने उन गरीब गांवों के लिए क्या सोचा है और वहां कैसे काम किया जा सकता है...? 
जवाब- जी हाँ..! मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' से जुड़ी हूँ...। मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' की उत्तरप्रदेश की प्रवक्ता भी हूँ..। हमारी वाहिनी हमेशा से गरीब-असहाय लोगों के लिए काम करती आई है...। हमारा पहला कर्तव्य और पहला सपना ही गरीबों की सेवा करना हैं...। हम उन गांवों में जाकर काम कर रहे हैं...।  'भगवा रक्षा वाहिनी' हमेशा गरीब-निर्धन लोगों की सहायता करता रहेगा...।

'जयदीप पत्रिका' के संपादक 'दीपक कोहली ' से बातचीत करने के लिए 'पूर्णिमा वर्मा' जी का तहदिल से धन्यवाद...। 
  
  

                                                       
                                                         रिपोर्ट- दीपक कोहली


 

09 November 2017

*उत्तराखंड की याद*



कवि- दीपक कोहली


उत्तराखंड की याद

पर्वतों का प्रदेश, लहरों का आंगन,
फूलों की घाटी, नदियों का आंचल,
यहीं हमारी जन्मभूमि की पहचान।

हवा की लहरें, फलों की मीठास,
सुंदरता की चमक, वनों का सौन्दर्य,
यहीं हमारी तपोभूमि की पहचान।

खेतों की फसल, आंगन की सब्जी,
धारों में मंदिर, मंदिरों में मूर्तियां,
यहीं हमारी देवभूमि की पहचान।
 
                       कवि- दीपक कोहली 


06 November 2017

* नैनीताल का भगत...! ठेठ पहाड़ी नेता...! 'कोश्यारी'



अगर देवभमि की बात हो...! और नैनीताल के भगत का नाम ना आए...! शायद ही ऐसा हो...! जी हां...! कोश्यारी वो व्यक्ति है...! जिन्होंने अपना पूरा जीवन देवभूमि उत्तराखंड की राजनीति में लगा दिया...! 

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म देवभूमि के 'बागेश्वर' जिले के 'पालनधूरा चेतबगढ़' में 17 जून 1942 में हुआ था..। इनकी माता का नाम 'मोतिमा देवी' और पिता का नाम 'गोपाल सिंह कोश्यारी' था...। इनकी प्रारंभिक शिक्षा 'अल्मोड़ा' से हुई थी...। आगरा विश्वविद्यालय से साहित्य में इन्होंने 'आचार्य '
की उपाधि प्राप्त की..। जिसके बाद कोश्यारी आरएसएस से जुड़े..। आपको बता दूं...। कोश्यारी अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में छात्र नेता भी रहे है..। आपने छात्र नेतृत्व के लिए कोश्यारी आज भी अल्मोड़ा कॉलेज  में याद किए जाते है...। 

अगर हम कोश्यारी की बात करें तो कोश्यारी को 'ठेठ पहाड़ी' नेता के नाम से भी जाना जाता है..। वहीं कोश्यारी पहाड़ के लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं...। अपने कामों और पहाड़ के प्रति प्रेम कोश्यारी को 'ठेठ' पहाड़ी नेता बनाता है...। कोश्यारी आज भी एक अलग छवि रखने वाले नेताओं में आते है..। अगर कोश्यारी के राजनीति जीवन की बात करें...। तो सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी 'राष्ट्रीय स्वंय सेवक' संघ से जुड़े...। वहीं सन् 1977 में कोश्यारी 'आपातकाल' के दौरा जेल भी गए थे..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी राजनीति में सक्रिय हुए...। उत्तराखंड राज्य बनाने में भगत सिंह कोश्यारी का एक अहम रोल रहा..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की राजनीति में बीजेपी की रीढ़ी बनकर उभरें....। सन् 2000 में जब उत्तराखंड की स्थापना हुई तो प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बनें...। वहीं कोश्यारी को राज्य का ऊर्जा, सिंचाई, कानून मंत्री बनाया गया था...। उस समय कोश्यारी सीएम के दांए हाथ हुआ करते थे...। जिसके बाद 2001 में बीजेपी ने कोश्यारी को राज्य का दूसरा सीएम घोषित किया..। लगभग 6 महीने कोश्यारी प्रदेश के सीएम पद पर विराजमान रहे...। जिसके बाद राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव हुए..।  जिसमें कांग्रेस की जोरदार जीत हुई..। इसी बीच भगत सिंह कोश्यारी को विपक्ष का नेता चुना गया...। कोश्यारी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के विपक्ष नेता रहे...। कोश्यारी को प्रदेश बीजेपी की कमान यानि प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया..। साल 2007 में एक बार फिर बीजेपी ने जोरदार वापसी करते हुए..। कोश्यारी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा...। उस समय कोश्यारी सीएम पद के मजबूत दावेदार थे..। लेकिन केंद्र भाजपा को यह मंजूर नहीं था..। तभी केंद्र भाजपा ने 'भुवन चंद्र खंडूरी' को प्रदेश का सीएम बनाकर कोश्यारी का नेतृत्व नकारा था..। जिसका मलाला कोश्यारी को शायद आज भी होगा..। जिसके बाद कोश्यारी 2008 से 2014 तक उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद रहे..। अभी वर्तमान में कोश्यारी नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद है...। कोश्यारी का राजनीति जीवन एक 'ठेठ पहाड़ी' राजनेता के तौर पर याद किया जाता हैं..। हम उम्मीद करते हैं...। कोश्यारी अपने संसदीय क्षेत्र को सर्वपूर्ण विकसित बनाएगें..। अपने राजनीति जीवन को एक नई ऊर्जा के साथ एक नई ऊंचाई देगें..। वैसे पहाड़ इस  'ठेठ पहाड़ी' राजनेता को कभी नहीं भूलेगा....। जिसने पहाड़ को एक नई मंजिल दी...।  



                                                  संपादक- दीपक कोहली