साहित्य चक्र

28 March 2022

कविताः मौत के व्यापारी



नशे के व्यापार से
फायदा उठाने वाले लोग 
जब तक मौजूद हैं इस दुनिया में,
नशामुक्त समाज के आह्वान
और दावे बेमानी ही रहेंगे,
घुसपैठ गहरी है हमारे तंत्र में
जहर बेचने वाले व्यापारियों की,
रोका न गया इन्हें तो
पीढ़ियों की पीढ़ियां यह तबाह करेंगे।


हथियारों के व्यापार से
फायदा उठाने वाले लोग
जब तक मौजूद हैं इस दुनिया में,
युद्ध-मुक्त समाज बनाने के आह्वान
और दावे बेमानी ही रहेंगे,
यह मौत के व्यापारी
ढूंढ लेंगे कोई न कोई बहाना
लोगों को आपस में लड़ाने का,
और देखना एक दिन 
इन हथियारों की दौड़ में यह
सारी दुनिया को तबाह करेंगे।



                              कवि- जितेन्द्र 'कबीर'



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