लेखक: कुसुम |
कॉलेज की छुट्टियां स्टार्ट हो चुकी है।सुशीला ने अभी-अभी बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा दी हैं।अब वो गांव आ गयी है घरवालों से मिलने।सुशीला को चार-पांच दिन ही हुए हैं गांव में।तभी सुशीला अपनी बड़ी मां से कहने लगी बड़ी मां प्लीज प्लीज मुझे भैया-भाभी (बड़ी मां के बेटे-बहू जो कि शहर में रहते हैं) के यहां भेज दे।क्योंकि उसकी मां तो छः या सात बर्षे की ही छोडकर ऊपर चली गयी थी। इसलिए मां की जिम्मेदारी बड़ी मां पर आ गयी थी। इसपर बड़ी मां कहती है का करेगी शहर जाकर गांम में रहके गांम को काम सीख यही काम आवेगो।तेरे ससुर आये तो कहके गये हैं कि बहू को बेटे के साथ (सुशीला के पति जो कि शहर में जॉब करते हैं )नी रखना बहु हाथ से निकल जाएगी।घर में सुशीला के पति की कम ही चलती है।सो मानना भी पड़ेगा ससुर का फरमान।ये सब सुनकर सुशीला परेशान..क्योंकि उसने तो कुछ और ही सपने देखे थे..कि शहर में रहेगी पति के साथ...इत्यादि।सुशीला को ससुराल के तौर-तरीके बिल्कुल पसन्द नही है क्योंकि वहां बहू का मतलब है काम करो और सबको ऑर्डर फोलो करो।सुशीला कुछ कह भी नही सकती क्योंकि घरवालों ने मना किया है कि चार -पांच महीने ही हुए हैं अभी बिहाय के..मुंह बन्द ही रखियो..फिर चाहे कोई कुछ भी क्यों न कहे।सुशीला अपनी जेठरानी से पूछती है कि क्यों कुछ भी नही बोलती हो गलत होता है तो..उस पर जैठानी बोलती है कि आदत सी हो गयी है...और तू भी आदत ड़ाल ले...अगर रहना है तो।सुशीला तभी तो जल्दी आ गयी ससुराल से।सुशीला मन भारी होता है तब रो लेती है अकेले में।किसी से कुछ नही कहती क्योंकि सब उसे ही सुना देते हैं..मायके में भी।फिर एक दिन सुशीला के भाई (बड़ी मां के बेटे)आ जाते हैं गांव मिलने..तो सुशीला कहती है...भईया प्लीज मुझे अपने साथ ले चलो... यहां शायद उसे अपनापन मिलता हो..अब आ जाती सुशीला शहर ..बडी ही चहक रही है आज ..और अपनी भाभी से कहती है कि भाभी जब भी मैं ससुराल से आया करूंगी आपके ही पास आ जाया करूंगी..ठीक है..।उत्तर मे भाभी हां(सर हिला कर) कह देती है।भाभी मन ही मन सोच रही है कि मैं बड़ी ही खडूस हूं(अनुशासन में)..और काम भी करवाती हूं खूब.इससे ....फिर भी वह मेरे के साथ रहना चाहती है..इसे किसी और चीज की जरुरत नही है...सिवाय ममता और प्यार के.....।।
।।कुसुम, करौली,राजस्थान।।
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