कुछ लिखता हूँ जीत के लिए ,
तो कुछ लिखता हूँ हार के लिए
लिखूं तो बुरा, ना लिखूं तो बुरा ।
कुछ लिखता हूँ अपनों के लिए,
तो कुछ लिखता हूँ सपनों के लिए
लिखूं तो बुरा, ना लिखूं तो बुरा।
कुछ लिखता हूँ तारों के लिए,
तो कुछ लिखता हूँ सारों के लिए
लिखूं तो बुरा, ना लिखूं तो बुरा।
कुछ लिखता हूँ सागर के लिए,
तो कुछ लिखता हूँ अम्बर के लिए
लिखूं तो बुरा, ना लिखूं तो बुरा
कुछ लिखता हूँ जीत के लिए,
तो कुछ लिखता हूँ हार के लिए
लिखूं तो बुरा, ना लिखूं तो बुरा।
कवि - दीपक कोहली